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06:05, 1 सितम्बर 2014 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=नीलोत्पल
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|संग्रह=
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<poem>
पानी में घोलने के लिए
कुछ चीज़ें हमेशा से कारगर थी
जैसे तुम्हारी परछाई और यादें
जिन्हें मैं हमेशा से एक तट देना चाहता रहा हूं
</poem>
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