गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
अहसास का घर / कन्हैयालाल नंदन
2 bytes added
,
08:25, 21 जुलाई 2006
जब मुसीबत पड़े और भारी पड़े,<br>
तो कहीं एक तो चश्मेतर** चाहिए।<br><br>
*- सार्थक<br><br>
**-नम आँख<br><br>
Lalit Kumar
Founder, Mover, Uploader,
प्रशासक
,
सदस्य जाँच
,
प्रबंधक
,
widget editor
21,881
edits