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बरसात की बहारें / नज़ीर अकबराबादी
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|रचनाकार=नज़ीर अकबराबादी
|अनुवादक=
|संग्रह=
नज़ीर ग्रन्थावली-2
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झींगर झंगार अपनी, सुरनाइयाँ बजावें।
कर शोर मोर बगले, झड़ियों का मुँह बुलावें।
पी -पी करें पपीहे, मेंढक मल्हारें गावें।
::क्या-क्या मची हैं यारो बरसात की बहारें।
Sharda suman
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