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पक्के गायक / काका हाथरसी

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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=काका हाथरसी|अनुवादक=|संग्रह=काका के व्यंग्य बाण / काका हाथरसी}}{{KKCatKavita}}<poem>तंबूरा ले मंच पर बैठे प्रेमप्रताप । प्रेमप्रताप। साज़ मिले पंद्रह मिनट. घंटाभर आलाप ॥आलाप॥घंटाभर आलाप, राग में मारा गोता ।  
धीरे-धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता ॥
 कहें 'काका', सम्मेलन में सन्नाटा छाया।  
श्रोताओं में केवल हमको बैठा पाया ॥
कलाकार जी ने कहा, होकर भाव-विभोर । विभोर।काका ! तुम संगीत के प्रेमी हो घनघोर ॥घनघोर॥प्रेमी हो घनघोर, न हमने सत्य छिपाया।  अपने बैठे रहने का कारण बतलाया ॥बतलाया॥'कृपा करें' श्रीमान ! मंच का छोड़ें पीछा ।पीछा।तो हम घर ले जाएं अपने फर्श-गलीचा ॥गलीचा॥</poem>
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