Changes

ख़ुदा / गुलज़ार

6 bytes added, 17:52, 7 अक्टूबर 2014
{{KKCatKavita}}
<poem>
रे पूरे का पूरा आकाश घुमा कर बाज़ी देखी मैंने
काले घर में सूरज रख के,
तुमने शायद सोचा था, मेरे सब मोहरे पिट जायेंगे,
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,132
edits