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हनुमान अष्टक १ / अष्टक
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02:54, 7 नवम्बर 2014
मेरी ही बेर क्यूँ देर करो हो, सुनो हनुमान ये अर्ज हमारी।
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फल चार मिले उर फूल खिले,
षुभ
शुभ
संत मिले खिलीहैं फुलवारी।
मांगत दान दे, ये वरदान दे, बीरबली महिमा तव न्यारी।
दे धन धाम व वाम सुता सुत, मीत पुनीत दे हे ब्रह्मचारी।
Kailash Pareek
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