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आज़ादी / गुलाम अहमद ‘महजूर’

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<ref>देश विभाजन के बाद</ref>
 
 
गुण गाओ, हमारे घर घर के अंदर घुस आई आज़ादी,
चिरकाल बाद हमको अब झलक दिखाने आई आज़ादी।
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