Changes

राही अकेला / जेन्नी शबनम

17 bytes removed, 11:40, 3 दिसम्बर 2014
बेग़रज अपना
मानो सपना !
sanjh ka akash22
उदास स्वप्न
आसमाँ पे ठहरा
साथ सपने मेरे,
काहे का डर !
-0-</poem>