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राही अकेला / जेन्नी शबनम
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11:40, 3 दिसम्बर 2014
बेग़रज अपना
मानो सपना !
sanjh ka akash2
2
उदास स्वप्न
आसमाँ पे ठहरा
साथ सपने मेरे,
काहे का डर !
-0-
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Lalit Kumar
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