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नासमझ यह मोहन ठकुरी / मोहन ठकुरी
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04:52, 26 दिसम्बर 2014
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Poem
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उसके अपने कभी अपने नही हुए
अधूरे सपनों को गले लगाकर
किसी की आँखों में आँसू बनकर छलक नही सकता !
'''मूल नेपाली भाषा से अनुवाद : विर्ख खड़का डुवर्सेली <
Poem
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Sharda suman
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