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मैं अपनौ मनभावन लीनों / बिहारी

24 bytes added, 08:38, 29 दिसम्बर 2014
|रचनाकार=बिहारी
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मैं अपनौ मनभावन लीनों॥
इन लोगनको कहा कीनों मन दै मोल लियो री सजनी।
कहा भयो सबके मुख मोरे मैं पायो पीव प्रवीनों।
रसिक बिहारी प्यारो प्रीतम सिर बिधना लिख दीनों॥
</poem>
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