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यहां सब कुशल-मंगल है / मुत्तुलक्ष्मी
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06:03, 2 जनवरी 2015
{{KKRachna
|रचनाकार=मुत्तुलक्ष्मी
}}{{KKAnthologyDeshBkthi
}}
{{KKCatKavita}}<poem>समूचॆ फर्श पर झड़कर
सॊह रहॆ हैं
Sharda suman
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