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हलचल ही में दिवस गये जी! / स्वामी सनातनदेव
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15:58, 9 जनवरी 2015
जे प्रेमी ते प्रीति मात्रा ह्वै प्रीतमतें नहिं भिन्न रहे जी!॥6॥
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Sharda suman
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