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03:33, 10 जनवरी 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नरेन्द्र मोदी
|अनुवादक=अंजना संधीर
|संग्रह=आँख ये धन्य है / नरेन्द्र मोदी
}}
<poem>
तुम मुझे मेरी तस्वीर या पोस्टर में
ढूढ़ने की व्यर्थ कोशिश मत करो
मैं तो पद्मासन की मुद्रा में बैठा हूँ
अपने आत्मविश्वास में
अपनी वाणी और कर्मक्षेत्र में।
तुम मुझे मेरे काम से ही जानो
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तुम मुझे छवि में नहीं
लेकिन पसीने की महक में पाओ
योजना के विस्तार की महक में ठहरो
मेरी आवाज की गूँज से पहचानो
मेरी आँख में तुम्हारा ही प्रतिबिम्ब है
</poem>