प्रिय सुमित जी,
मैं समझ गया था कि लिंक लाल क्यों है। पर उस समय जल्दी में था इसलिए सोचा कि यह काम बाद में करूंगा। अब आपने कर दिया, आभारी हूँ आपका। मैंने जो कविताएँ शामिल की हैं वे 'आहंग' से ही हैं। सारी कविताएँ आधी-अधूरी हैं।
पूरी कविताएँ देवनागरी में उपलब्ध नहीं हैं। अगर उर्दू में कहीं उपलब्ध हों और आप उन्हें देवनागरी में ट्रांसफ़ार्म कर सकें तो कृपया आप ही ऎसा कर दें चूँकि मैं यह नहीं जानता हूँ कि कम्प्यूटर पर ये सब काम कैसे किए जाते हैं। मैं तो जो देवनागरी में उपलब्ध है, उसी को टाईप कर रहा हूँ। 'आहंग' के अलावा भी मजाज़ की ढेर सारी और कविताएँ हैं, वे अलग से बाद में मुख्य पन्ने पर डाल देंगे।
surname को हिन्दी में हम 'कुलनाम' कहते हैं। इसलिए उपनाम का मतलब संभवत: 'तख़ल्लुस' ही होना चाहिए।
लेकिन मजाज़ को मजाज़ ही रहने दें तो अच्छा रहेगा क्योंकि ग़ालिब,निराला, नागार्जन, त्रिलोचन, बच्चन आदि सब उपनाम ही हैं, लेकिन समय के साथ-साथ ये इन कवियों के मुख्य नाम हो गए। इसलिए इन नामों को अलग से चिन्हित करने की कोई ज़रूरत नहीं है। उपनाम छद्मनाम नहीं है। छ्द्मनाम तो जासूसों और चोर-डकैतों के होते हैं और अपनी पहचान छुपाने के लिए रखे जाते हैं। कवि प्राय: वे नाम स्वीकार लेते हैं, जो ख़ुद उन्हें पसन्द होते हैं और फिर वही नाम हमेशा के लिए उनकी पहचान बन जाते हैं। यह काम आम तौर पर कवि-लेखक अपनी विशिष्टता को दर्शाने के लिए भी करते हैं ।
सुपरस्क्रिप्ट में संख्या लिखना मुझे आता नहीं है। अगर यह काम करना मुझे सिखा दें तो मैं आभारी रहूंगा। 'आज की रात' में इस दृष्टि से आपने अच्छा काम किया है। लेकिन यह कविता कोश के मानकों के अनुरूप है या नहीं, यह तो ललित जी ही बता सकेंगे। हमारे जनरल तो वही हैं। हम तो सिपाही हैं। पीछे-पीछे चलने वाले और आगे-आगे लड़ने वाले।
'ऎ' की बीमारी स्क्रिप्ट में ही है। मैं इसे हमेशा या बार-बार ठीक करने के लिए कुछ विशेष प्रयास नहीं कर पाता। जैसा है, चल रहा है। राम भरोसे।
सादर
'''--[[सदस्य:अनिल जनविजय|अनिल जनविजय]] मास्को समय १७:४५, १८ अप्रैल २००८ (UTC)''''