|रचनाकार=केशवदास
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'''सव्याम्वरस्वयम्बर-कथा'''
[दोहा]
खंड्परस को सोभिजे, सभामध्य कोदंड।
'''विश्वामित्र और जानक जनक की भेंट'''
[दोधक छंद]
आई गए ऋषि राजहिं लीने| मुख्य सतानंद बिप्र प्रवीने||
देखि दुवौ भए पायनी लीने| आशिष शिर्श्वासु लै दीने||५||
</poem> [सवईया छंद]