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बसंत की रात / गोपालदास "नीरज"
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10:04, 20 जनवरी 2015
तान मारे सौत जुन्हाई,<br>
रह-रह प्राण पिरात,<br>
चुभव
चुभन
की बात न करना!<br>
आज बसंत की रात,<br>
गमन की बात न करना।<br><br>
Dhirendra Asthana
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