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छोटा सा बलमा मोरेखुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
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रचनाकार: [[कांतिमोहन 'सोज़'त्रिलोचन]]
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<div style="border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; line-height: 0; margin: 0 auto; min-height: 590px; padding: 20px 20px 20px 20px; white-space: pre;"><div style="float:left; padding:0 25px 0 0">[[चित्र:Kk-poem-border-1.png|link=]]</div>
छोटा सा बलमा मोरेखुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वारआँगना में गिल्ली खेले।अपरिचित पास आओ
पनिया भरन जाऊँ वो कहेआँखों में सशंक जिज्ञासामोहे गोदी ले ले।मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासाछोटा सा बलमा मोरेजहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैंआँगना में गिल्ली खेले॥स्तम्भ शेष भय की परिभाषाहिलो-मिलो फिर एक डाल केखिलो फूल-से, मत अलगाओ
गोदी उठाऊँ तो वोसबमें अपनेपन की मायायूँ कहे मोहे ले चल मेले।छोटा सा बलमा मोरेआँगना में गिल्ली खेले॥ मेले ले जाऊँ तोजुल्मी कहे कहीं चल अकेले।छोटा सा बलमा मोरेआँगना में गिल्ली खेले॥ कैसे बताऊँ मेरीजान को हैं सौ झमेले।छोटा सा बलमा मोरेआँगना अपने पन में गिल्ली खेले॥जीवन आया
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