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08:21, 29 जनवरी 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राजू सारसर ‘राज’
|अनुवादक=
|संग्रह=म्हारै पांती रा सुपना / राजू सारसर ‘राज’
}}
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<poem>
सरकार बाटै
सींत में
लेपटोप अर टेबलेट
पच्छै ई
करै हाकौ थूं बावळां ज्यूं
पेट नै रोटी
हाथां नै काम सारू
अबै थानैं
हाकौं करण रो हक नीं है
आं गैली बातां नैं छोड
होज्या ग्लोबल
देख सरी दुनिया पूगगी
कितरी’क आगै।
</poem>
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