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इकीसवीं सदी / ज़फ़र गोरखपुरी

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एक वो भी था ज़माना, एक ये भी है ज़माना
अब्बा का वक़्त आया तालीम घर में आई (तालीम = शिक्षा)
तालीम साथ अपने ताज़ा विचार लाई
आगे रवायतों <ref>परम्परा</ref> से बढ़ने का ध्यान आया (रवायत =परम्परा)
मिटटी का घर हटा तो पक्का मकान आया
दफ्तर की नौकरी थी, तनख्वाह का सहारा
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