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श्रद्धा / भाग १ / कामायनी / जयशंकर प्रसाद
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,
08:30, 6 फ़रवरी 2015
}}
<poem>
कौन हो तुम? संसृति-जलनिधि
,
तीर-तरंगों से फेंकी मणि एक,
कर रहे निर्जन का चुपचाप
सुलझा हुआ रहस्य,
एक करुणामय सुंदर मौन
और चंचल मन का आलस्य
"
सुना यह मनु ने मधु गुंजार
Kalpana Ramani
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