1,656 bytes added,
10:57, 26 फ़रवरी 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=वासु आचार्य
|संग्रह=सूको ताळ / वासु आचार्य
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
क्या हुयौ
क्या नीं हुयौ
क्या सूं क्या हुयग्यौ
धरती पिघल‘र
बणगी दरियाव
छायगी सून च्यांरूमैर
बै सै ठौडा
जाणै ज्वालामुखी रै
धधकतै लावै मांय
भसम हुयगी
जठै कदै-कोई सुपनो
कोई ‘लैरियौ’
कोई ‘मोरियौ’
आपरै ई सुरताळ मांय
गूंजतौ हो
पून रा लैरका सागै
म्हैं जीवू तो हूं
बिया‘र बिया
लागण मांय ओई लागै
दीखण मांय भी
कीं नीं दीखै
सौ की सावळ‘ई लागै
पण म्हारो-ओ बगत
उबळतै तैल रै
कड़ाव सूं बतौ‘ई है
जिण मांय तिल तिल
बळतौ जाय रैयौ है
म्हारो रूं रूं
साची बात तो आ है-
क मनै ठा इ नीं
लाग रैई है
क कोई मुड़दो
जी रैयौ है -
म्हारै मांय
या कोई मुड़दै मांय म्हैं
थारै पछै
थारै पछै
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader