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प्रातः संकल्प / अज्ञेय
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12:06, 30 मार्च 2008
नतमस्तक करूँ प्रतीक्षा
झंझा सिर पर से निकल
जाय
जाए
!
मैं अनवरुद्ध, अप्रतिहत, शुचस्नात हूँ:
मैं तो नित्य उसी का हूँ जिस को
:
:स्वेच्छा से दिया जा चुका!
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७ मार्च १९६३
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Sumitkumar kataria