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प्रातः संकल्प / अज्ञेय

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नतमस्तक करूँ प्रतीक्षा
झंझा सिर पर से निकल जायजाए!
मैं अनवरुद्ध, अप्रतिहत, शुचस्नात हूँ:
मैं तो नित्य उसी का हूँ जिस को
::स्वेच्छा से दिया जा चुका!----
 <span style="font-size:14px">७ मार्च १९६३</span>
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