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दृक्-दृश्यौ / इला कुमार
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19:04, 11 जनवरी 2008
जायंऐंगे
जाऐंगे
हम पहाड़ों के पैरों तले
जहाँ दूर तक बिछी है गहरी हरी घास की चादर
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Sneha.kumar