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<poem>
उतरत सावन लागत भादौं आये न विरना तुम्हार हो
काहेन की तोरी माया बनी है काहेन के तोरे बाप हो
बरहे दिना जब ओसटी है जमुना निकरे हैं बहिनी ओ भाई हो
मइके मां बाजइ अनंद बधइया ससुरे मा रोवन होइ हो
</poem>