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08:29, 19 मार्च 2015 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|भाषा=बघेली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह=
}}
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<poem>
महाराजा हो खोला केमार
भींजइ कुसुम रंग चुनर
अरे ठाढ़ी रही तो भीजइ चुनरिया
लौटउं तौ टूटे सनेह
राजा खोलउ केमार
भींजइं हमारी चुनरिया
</poem>