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12:57, 20 मार्च 2015 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|भाषा=बघेली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह=
}}
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<poem>
एक पेड़ काशी मा जामा हो
अरे डार गई जगन्नाथ हो
काशी मा जामा
फूलत फूल द्वारिका मोरे प्यारे
कि फर लाग्यों बद्रीनाथ हो
मटुक वाले
</poem>