541 bytes added,
12:59, 20 मार्च 2015 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|भाषा=बघेली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह=
}}
{{KKCatBagheliRachna}}
<poem>
झुलनिया तो गौरा के सोहै हौ
अरे गौरा के सोहै महराज हो
झुलनिया तो।
झुलनिया तो गौरा के सोहे हो
जेखे दांते बतीसी गोरे गाल हो
झुलनिया तो गौरा के सोहै हो
</poem>