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13:05, 20 मार्च 2015 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|भाषा=बघेली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह=
}}
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<poem>
दरश की तो बेरा भई हो
अरे बेरा भई महराज हो
दरस की तौ
दरस की तौ बेरा भई हो
और पट खोलो भैरोंनाथ हो
दरस की तो बेरा भई
</poem>