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13:10, 20 मार्च 2015 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|भाषा=बघेली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह=
}}
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<poem>
सुरति रहे तो सुअना ले गा
बोल के अमृत बोल
नटई रहै तो कोइली लै गे
चढ़ि बोलइ लखराम
एतनी देर भय आये रैन न एकौ लाग
कोइली न लेय बसेरा न करन सुआ खहराय
</poem>