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13:40, 20 मार्च 2015 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|भाषा=बघेली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह=
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<poem>
सच्ची बोली बोल्या बघेले के मैना
उड़ि के मैना घुंघुट बैठे
घुंघटौं के दाबे दबाय गये मैना
सच्ची बोली बोल्या बघेले के मैना
उड़ि कै मैना बेसरि पर बैठे
झुलनिउ के दाबे दबाय गये मैना
सच्ची बोली बोल्या बघेले के मैना
उड़ि कै मैना बहुंटा पर बैठे
बाजू के दाबे दबाय गये मैना
सच्ची बोली बोल्या बघेले के मैना
उड़ि कै मैना कंगना पर बैठे
पहुंचिउ के दाबे दबाय गये मैना
सच्ची बोली बोल्या बघेले के मैना
</poem>