550 bytes added,
13:43, 20 मार्च 2015 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|भाषा=बघेली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह=
}}
{{KKCatBagheliRachna}}
<poem>
बहियन मा गनेश जिभियन मां बैठी माई शारदा
घर आये मेहमान नहीं जननी कउन रे कहां के
बेंदी चमकै लिलार कजरा कै बड़ी ......आय
खूब मिला है इनाम जाबइ जहाँ तहाँ कहबै
</poem>