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पनही पहिरि चमाचम चन्दा कन्धा मा डारे नोय
जेहि घर देखइ सुन्दर धनिया गौवइं दुहैं भिनसार
छाड़ि दे चन्दा बजनी पनहिया छाड़ि कन्धा के नीय
छाड़ि दे चन्दा गउवइं दुहाउब डाटत विदेशी लोग
ना हम छांड़ब बजनी पनहियां ना कांघा कै नोय
ना हम छोड़ब गोवैई दुहाउब काहे डाटत विदेशी लोग
सात बिआही नौ उढ़री सोरह सखी कुंवारि
एतने मा ना भावइ चन्दा गेल्ही लाउ उढ़ारि
</poem>