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09:43, 21 मार्च 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=चन्द्रमणि
|संग्रह=रहिजो हमरे गाम / चन्द्रमणि
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<poem>
माटि ने लागौ तनमे दिखहें
सोना सनक जुआनी
बात सगुनकें चलिये रहलउ
छटाकऽ राखइ कानी
बाबा हाथमे हऽरक लागनि
तों गेरूआ लऽ अऽड़ल रह
खोरे मंगला....
बुढ़िया माइक आस छोड़ि दे बहिनिक कोन पुछारी
ताड़ी पीकऽतास खेलगऽ बाप कमेथुन बाड़ी
कनियाँ भेलौ ये चमचिकनी करइ खबासी तऽरल रह
खो रे....
बिना कमेने अंगा बगबग चोरि तकर लाचारी
बटखर्चा लऽ बीड़ी पीबइ रेलक सुलभ सवारी
सब टी टी छौ तोरे मामा घरमे नइ तऽ जऽहल रह
खो रे.....
आइ. ए. बी. ए. माँछी मारय एम. ए. पास उपास
नीक केलें नइ पढ़लें मंगला शेष तोहर छौ आस
एम. एल. ए. केर चाँस नीक छौ चमचा बनि जो मठरल रह
खो रे....
</poem>