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समदाओन / चन्द्रमणि

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<poem>
रगड़ि-रगड़ि उबटन धिया सेवल
सेहो करेज लगाय
बाँहिक पलनहिं झुलना झुलाओल
सेहो धिया चलि जाय।
फूल फुलायल देखितो मलिनियाँ
दहो-बहो नोरे दहाय
कतेक मनोरथ मनहि जोआओल
सबटा संगहि संग जाय।
हिचुकि-हिचुकि धिया चुप नहि भए रह
आंगन कानथि माय
डोलिया उठाय आगू बढ़ल कहरिया
अहिना युगक युग जाय।
</poem>
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