Changes

बटुआ / येव्गेनी येव्तुशेंको

505 bytes removed, 17:34, 30 मार्च 2015
{{KKCatKavita}}
<poem>
भगवान करे, अन्धों को आँखें मिल जाएँऔर कुबड़ों की कमर भी सीधी हो जाएभगवान करे, ईसा बनूँ मैं थोड़ा-साबटुआ हूँभरी दोपहरीपड़ा हूँ सड़क पर सूली पर चढ़ना मुझे ज़रा न भाएअकेलाक्या आप लोगों को दिखाई नहीं देता मैं
भगवान करे, सत्ता के चक्कर में नहीं पड़ूँआपके पैर ठोकर मारते हैं मुझेऔर दिखावे के लिए हीरो भी मैं नहीं बनूँख़ूब धनवान बनूँ, पर चोरी नहीं करूँक्या संभव है यह कि ख़ुद गुज़र जाते हैं मेरे निकट से भी नहीं डरूँ?
भगवान करे, बनूँ मैं ऐसी मीठी रोटीआप बेवकूफ़ हैं क्याजिसे न खा पाए गुट कोई और न गोटीक्या आँखें नहीं हैं आपकेबनूँ न बटन हैंआपके चलने से जो धूल उड़ रही हैआपकी नज़रों से बचा रही है मुझेजैसे ही दिखाई पड़ूँगा मैं बलि का बकरा कभी, न कसाईन मालिक बनूँ, न भिखारी कभी, वह सब कुछ आपका होगाजो मेरे सांईभीतर छिपा है
भगवान करे, जीवन में जब भी बदलाव होजब हो कोई लड़ाई, मेरे न कोई घाव होमालिक को ढूँढ़ने की ज़रूरत नहींभगवान करे, मेरा कई देशों से लगाव होमैंने स्वयं ही गिराया है ख़ुद को धरती परयह मत सोचिए कि मज़ाक है यहजैसे ही झुकेंगे आप मुझे उठानेअपना देश न छोडूँ, न ऐसा कोई दबाव होधागा खींच लेगाऔर हँसेंगे बच्चे आपके ऊपर
भगवान करेकि देखो, प्यार करे मुझे मेरा देशकितना मूर्ख बनायाठोकर मारकर फेंक न दे मुझे कहीं विदेशआप डरें नहींभगवान करे, पत्नी भी मेरी प्यार करे तबकि स्त्रियाँ खड़ी होंगी खिड़की परआपको झुकते देख मुस्कराएँगी वेहो जाऊँ जब भिखारी और बदले मेरा वेषआपको शर्म से लाल होना पड़ेगा
भगवान करेनहीं, झूठों मैं धोखा नहीं हूँ अँधेरे का मुँह बंद हो जाएबच्चे की चीखों में प्रभु का स्वर दे सुनाईवास्तविकता हूँचाहे रूप पुरुष का भर लें या स्त्राी काकृपया रुकिए एक क्षण कोभगवान करे, मनुष्य में ईसा उठाइए मुझे दें दिखाईऔर देखिए कि मेरे भीतर क्या है
सलीब नहीं उसका प्रतीक हम पहने हैं गले मेंमैं नाराज़ हूँ आपसेऔर झुकते हैं ऐसे जैसे झुके कोई व्यक्ति ग़रीबडरता हूँ सिर्फ़ इस बात सेभगवान करेकि अभी, हम नहीं नकारें सब कुछ कोबिल्कुल अभीविश्वास करें और ख़ुदा रहे हम सब के क़रीबइस भरी दोपहरी मेंमुझे देख लेगा कोई अज़नबीभगवान करेवह व्यक्ति नहीं, सब कुछ, सब कुछ, सब कुछजिसकी मुझे प्रतीक्षा हैसबको मिले धरती पर ताकि न कोई नाराज़ होभगवान करेबल्कि वह, सब कुछ मिले हमें उतना-उतनाजिसे मेरी ज़रूरत नहींजितना पाकर सिर नहीं हमारा शर्मसार होवह झुकेगा और मुझे उठा लेगा
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits