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नमस्कार / जयशंकर प्रसाद
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06:54, 2 अप्रैल 2015
जिस मंदिर में रंक-नरेश समान रहा है
जिसके हैं आराम प्रकृति-कानन ही सारे
जिस मंदिर के दीप इन्दु, दिनकर
ओ’
औ’
तारेउस मंदिर के नाथ को, निरूपम निरमय
स्पस्थ
स्वस्थ
को
नमस्कार मेरा सदा पूरे विश्व-गृहस्थ को
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