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सौन्दर्य / जयशंकर प्रसाद

No change in size, 11:26, 2 अप्रैल 2015
प्राण भी अमोद से सुरभित हुआ
रस हुआ रसना में उसके बोेलकर
स्पर्ष स्पर्श करता सुख हृदय को खोलकर
लोग प्रिय-दर्शन बताते इन्दु को
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