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उठ चल मेरे मन / शार्दुला नोगजा
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16:08, 10 अप्रैल 2015
कर गहेंगी स्मृतियाँ तेरे बालपन की
ओ मेरे मन! राह से ना विलग होना
खींचे
खींचें
अगर रंगीनियाँ तुझको चमन की
एक मुठ्ठी धरा, एक टुकड़ा गगन का
Gcgupta
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