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16:36, 16 अप्रैल 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=गणेशीलाल व्यास उस्ताद
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साथण दिया जगादे
दीवाळी सिणगार सयांणी जुग रौ पंथ उजादे
साथण दिया जगादे
औ नव जुग नित जुग सूं न्यारौ, लिछमी नै पुरसारथ प्यारौ
युध बिसर्या जीवन नै साथण जुग री गत समझादे
साथण दियो जगादे
क्रोड़ हाथ कारज में लागै, कोड़ मिनख री सुख-बुध जागै
सीर संभ्ये हथबळ नै साथण कळ पर कांम लगा दे
साथण दियो जगादे
छिण बदळै पळ में बंध जावै, हुनर मजूरी हेत निभावै
जुग सांधौ सुळझावण साथण समय सुधा बरसा दे
साथण दिया जगादे
</poem>