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11:42, 25 अप्रैल 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=सांवर दइया
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<poem>
बै आवै
गूंगां नै टाळै
तिलक करै
पीठ थपथपावै
उणारी गूंग नै जगावै
बिड़दावै
गूंगा नै गोळी रा गुण बतावै
अष्टपौर अभ्यास करावै
सात खून माफ री छूट देय र
सड़का माथै खुला छोड देवै
थोड़ी ताल पछै सुणीजै
पग-पग धमाका
दुनिया रा
स्याण लोगां सुणो-
थांनै
अर थांरी अक्कल नै
खुणियां तांई सिलाम !
</poem>