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16:47, 30 अप्रैल 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=निशान्त
|संग्रह=धंवर पछै सूरज / निशान्त
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<poem>
ईं छेकड़ली
उमर में
इत्ती भाजा-दौड़ी
कीं आप री
कीं पारकी
पण लाभ ई तो
म्हैं ई उठाऊँ
जठै ई जाऊँ
कीं न कीं
पाऊँ।
</poem>
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