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17:07, 30 अप्रैल 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निशान्त
|संग्रह=धंवर पछै सूरज / निशान्त
}}
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<poem>
जिण गेलै
पड़ी रैंवती
ताती रेत
अर कदे
कादो-कीचड़
आज पड़्या है
पीळा-पीळा फूूल
कीकरां रा।
</poem>
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