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ताण / निशान्त

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<poem>
काढ़-काढ़ ठूंड
बणांवतां जमीन
नीं आयो हुसी
ताण इत्तौ,
जित्तौ कै म्हानै आवै है
कोर्ट-कचेड़्यां गेड़ा खाय’र
उण नै आपरै
नांव चढ़ांवतां।
</poem>
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