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10:01, 4 मई 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=निशान्त
|संग्रह=धंवर पछै सूरज / निशान्त
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<poem>
अब थानै
कीं नीं करणों
बारी री
उडीक रै सिवा
क्यूंकै घड़ दिया है
थे लोगां
हालात इस्या कै
सत्ता आ पड़ै
थारी झोळी में
बारीबंटै
हां ! बियां जे थे चाओ
बजा सको कांख
कदे कदास
विरोधी री
करणी पर।
</poem>
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