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सोनो / निशान्त

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<poem>
ढळती उमर री
कमजोरी दूर करण सारू
बैद-हकीम बतावै
सोनै री भस्म

पण म्हनै लागै
कई दिन/फूलां आयोड़ै
तारैमीरै रै खेत में
बिचरूं तो
सागळी कमजोरी
दूर भाज सकै

पण कठै ’सू ल्याऊँ
इत्तो फक्कड़पणौ।
</poem>
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