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10:15, 4 मई 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=निशान्त
|संग्रह=धंवर पछै सूरज / निशान्त
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<poem>
भाईया-भाभियां री बात छोड़ो
आं रै सागै अयोड़ी है अेक
दस-बारह साल री छोरी
माँ-बाप रै सागै नीं
काकै सागै
खिलाण सारू टाबर
सोचूं-कियां में’ल दी माईतां
अर कियां आ रैवै
बिना माईतां
इत्ता दिनां तांई
इत्ती छोटी छोरी।
</poem>
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