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थ्यावस / निशान्त

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<poem>
भीड़ भर्यै
सै‘र अर
गांवां सूं बारै
झ्याज ज्यूं लद्या खेत
कैंवता लागै-
बावळौ, क्यूं घबराओ
अजे म्हैं नीं छोड़्यो है
निपजणो।
</poem>
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