571 bytes added,
10:30, 4 मई 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निशान्त
|संग्रह=धंवर पछै सूरज / निशान्त
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
सिंझ्या नै
लोटिया चासण रै टेम
च्यानणै नै
निंवण करणियां
अै लोग
ऊगतै सूरज नै
कदे ई
नमस्कार नीं करै
साची बात है
हरेक
आपरै बूतै सारू ई
काम करै।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader