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बूतै सारू / निशान्त

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<poem>
सिंझ्या नै
लोटिया चासण रै टेम
च्यानणै नै
निंवण करणियां
अै लोग
ऊगतै सूरज नै
कदे ई
नमस्कार नीं करै

साची बात है
हरेक
आपरै बूतै सारू ई
काम करै।
</poem>
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