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10:35, 4 मई 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=निशान्त
|संग्रह=धंवर पछै सूरज / निशान्त
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<poem>
आसोज रै म्हीनै मांय
रातनै जागेड़ै
सुगनियै नै
झिलमिल-झिलमिल
चिलकता तारा
लागै भौत खारा
क्यूं कै
सारो भादवो
अैन सूको गयो
उण नै तो औ तारा
जद लगता प्यारा
जद खेत मांय
आं तारां ज्यूं ई
पड़्यां होंवता
काचर, टींडसीं
अर लोइया।
</poem>