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{{KKRachna
|रचनाकार=निशान्त
|संग्रह=धंवर पछै सूरज / निशान्त
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<poem>
अेक सूं
दो भलां आळी
कैवत
लागू हुवै
छोटी-छोटी
चिन्तावां अर
दुखां माथै ईज
जद अेक आवै
तो दूजो
खुदो-खुद
मांदो पड़ ज्यावै।
</poem>
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